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धर्मान्तरण से लाभ या हानि

हिन्दुस्तान
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प्रतिदिन समाचार पत्रों में धर्मान्तरण के बारे में पूरा देश पढ़ता है / सब अपने अपने तरीके से विश्लेसण करते हैं ,बहस होती हैं / सबसे बड़ी बहस देश के संसद में कार्य को बाधित करके होती रही नतीजा कुछ भी नहीं निकला /
यदि हम बारीकी से सारे परिपेक्ष को समझे तो धर्मांतरण एक बहुत बड़ी साजिश नजर आती है / जब में बारह या तेरह साल का था ८० के दशक में पतली पतली तीन चार किताबें मोहल्ले में बांटी जा रही थी, जिसमे एक मे चित्र बना था सूली पर चढ़े हुए आदमी का, मैंने भी पुस्तकें लीं काफी दिन तक घर में इधर उधर कोने में पड़ी रही फिर मुझे पता नहीं ,परन्तु आज मुझे ज्ञांत होता है इसका प्रचार आज भी उसी गति से चल रहा है /
किसी भी देश की पहचान उसकी संस्कृति से होती है आज ईसाइयत व इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया में जद्दो जहद है / पश्चिम एशिया में ‘आई इस आई इस’ , क्या कर रहा है , दुनिया भर में मिसनरी क्या कर रही हैं इसका जवाब भारत में किसी के पास नहीं है /
उदहारण हमारे पडोसी जो हिन्दू त्योहारों व भगवानो को बढ़ चढ़ कर मानते थे व मनाते थे पर आज मेरी २८ साल की संगत के बाद एक दिन व ईसाई बन गए , मैंने पूंछा क्यों तो बोले हिन्दू धर्म ने दिया ही क्या है काम आज भी वही कर रहे हैं नाम आज भी श्याम है ( श्याम रोबर्ट ) शायद कुछ धन मिल गया , आज ८-१० लोगों को एकत्र करके अपने घर में प्रार्थना करवाते हैं अब यह उनके कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं /
बहुत लोगों से बातचीत चरचा हुई कुछ लोगों ने कहा हमसे क्या लेना देना कोई किसी धर्म को अपनाएं , ऐसा
सिर्फ हिन्दू ही बोल सकता है क्योंकि हिन्दू आज भी धर्मनिरपेक्ष है वह सभी धर्मो की इबादत गाह के आगे सर झुकाता है / हिन्दू शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया है जबकि भारत के किसी भी ग्रन्थ में इस सब्द का उल्लेख नहीं मिलता , यह तो एक सनातन जीवन पद्धति है जिसमे सूक्ष्म से लेकर विराट अंतरिक्ष तक की पूजा की जाती है /
जो लोग कहते हैं भारत में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता , मेरा विचार है फर्क तो पड़ता ही है , जब धर्म बदलता है तो राष्ट्रीय भावना भी बदलती है धर्म के मूल स्थान से भावना जुड़ती है ज्यूँ ज्यूँ पीढ़ियां आगे बढ़ती हैं अपनी प्राचीन संस्कृति पीछे छूटती जाती है , आज विदेशी धर्म में आस्था रखने वाले लोगों की जुबान से ‘भारत माता , वन्दे मातरम शब्द नहीं निकलते , जो बोलने की कोशिश करता है उस पर कटरपंथी हावी हो जाते हैं जिससे राष्ट्रीय भावना ख़त्म हो जाती है /
पिछले दस सालों से धर्मांतरण पर कोई विरोध नहीं हुआ इसके राजनैतिक कारण हो सकते हैं , शायद भारतीय संगठनों पर प्रतिबन्ध की तलवार लटकती रही हो आदि कारण हो सकते हैं . आज परोिस्थितियां बदली हुई हैं कोई अपने धर्म में यदि वापस आ रहा है तो यह धर्मांतरण कहाँ है , धर्मान्तरण तो पहले हुआ था , जोर जबरदस्ती या लालच के कारण /
सबसे बड़ी विडम्बना यह है की तुछ राजनैतिक लाभ के लिए सबसे ज्यादा हो हल्ला हिन्दू नेता ही मचा रहे हैं / ये देश के लिए नहीं वरन आने वाले समय में इन राजनैतिक पार्टियों का ही अस्तित्व मिट जायेगा , जिनकी संख्या ज्यादा होगी वही राज करेगा , भारत धार्मिक गुलामी की ओर बाद रहा है / खुले आम बाहर से पैसा आ रहा है प्रचार व् इमारतों के लिए सभी जानते हैं पर आँख पर पट्टी बांधे हैं /
यजीदी आज संघर्ष कर रहे हैं , यहूदी बड़ी मुश्किल से इस्रायल में अपना अस्तित्व बचा पाये हैं , यही हाल भारत का भी हो सकता है /
भारत में जैन व बौद्ध धर्म भी है जो की बहुत ही सहिष्णु धर्म है यदि स्वेछा ही अपनाना है टी इन्हे क्यों नहीं अपनाया जाता , हृदय परिवर्तन इनके लिए क्यों नहीं होता ,क्यूंकि इनके धर्मावलम्बी लालच व प्रचार जैसा तुछ कार्य नहीं करते /( शायद देश में इनका वोट बैंक के लिए महत्त्व नहीं है समझा जाता )
आज जिनके हांथों में ऐ . के सैतालिस व धर्म प्रचार सामग्री है उनसे खतरा नजर नहीं आता वरन जिसके मुह से भारत माता निकलता है वह सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है ये कैसी राजनीति है
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