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भारत एक लोकतान्त्रिक देश है जिसमे जनता के द्वारा चुने हुए सभी प्रतिनिधि आते हैं और उसी सदस्यों में से प्रधानमंत्री चुना जाता है ।( प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक अपवाद हैं ) इसलिए प्रधानमंत्री को लोकपाल के दाएरे में आना चाहिए ।
दूसरा कारण यदि प्रधानमंत्री अपने पास किसी भी विषय के कितने भी मंत्रालय अपने आधीन रखते हैं या किसी भी मंत्रालय के मुखिया है तो प्रधानमत्री को लोकपाल के दाएरे में जरूर आना चाहिए ।
यदि प्रधानमंत्री सिर्फ प्रधानमंत्री के पद पर रहते है उनके पास कोई अतिरिक्त मंत्रालय नहीं है तो उन्हें इस दाएरे में कतई न लाया जाये । यदि प्रधानमंत्री अपने अधीन किसी भी मंत्रालय को रखते है तब यदि उस मंत्रालय में कोई अनियमितता पाई जाती है तो उसकी जाँच कैसे होगी और उसका जवाबदेह कौन होगा ।
अन्ना हजारे अब अन्ना हजारों हैं।
कानून की बारीकियां अब जान गए हजारों हैं ।।
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