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क्या अन्य योजनाओ में भी ईमानदारी से लोगों तक पैसा व सुविधाएँ सही लोगों तक पहुंचती है । रिपोर्ट के मुताबिक सब्सिडी के लाभार्थी किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत सीधे सरकार से कर सकते हैं, जिससे समय पर उचित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
पहली बात इन लाभार्थियों में लाखों लोगों के बैंक खाते ही अभी तक नहीं खुले हैं, केरोसीन, बल्कि बहुत से गरीबों की गिनती गरीबी की रेखा के नीचे में ही नहीं हुई, अनपढ व्यक्ति कहाँ और कैसे शिकायत करेगा , हज्जारों लोग सक्षम होते हुए भी लाभ ले रहे हैं, हम जमीन के लोग जानते हैं, ऊपर वाले तो जान कर भी अनजान हैं।
हर परिवार को एक वर्ष में एक सीमित संख्या में ही गैस सिलेंडर दिए जाने की बात की जा रही है। अभी भी जोइंट फैमिली में एक सिलेंडर इस्तेमाल किया जाता है जबकि दूसरा ब्लैक में लेना पड़ता है यदि नहीं लेगा तो क्या गीली लकड़ी जलाएगा , इससे प्रदूषण फैलेगा जबकि शहर के घरों में यह सब करना नामुमकिन है तथा केरोसीन मिलता नहीं है क्यूंकि गरीबी की रेखा से ऊपर हैं।
पता नहीं ऐसे सुझाव कौन देता है बल्कि मेरा मानना है इसकी जड़ में भ्रष्टाचार है वर्ना प्रभावी कानूनों के प्रयोग द्वारा लोगों तक सभी कुछ सुगमता से पहुँच सकता है आखिर सरकारी नुमाइनदो को तनखाह किस बात की मिलती है ।
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