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पतंजलि योग पीठ कहीं, दिग्विजय सिंह की सियासत की भेंट न चढ़ जाये ।

हिन्दुस्तान
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दिग्विजय सिंह जैसे कि बाबा रामदेव को ढोंगी व ठग कह रहे हैं । योग ट्रस्ट पर अंगुली उठा रहे हैं लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं । जबकि अभी बाबा रामदेव जी की पहुँच भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ५ प्रतिशत भी इलाज के मामले में नहीं हो पाई है। जबकि आज के परिवेश में राजनीती तो ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुच गई है । ये नेता शायद उन देशी व विदेशी दवा कंपनियों से प्रभावित हैं जो नहीं चाहते देश में आयुर्वेद का प्रभाव बड़े तथा इन कंपनियों से मिलने वाला चंदा कण पड़ जाये ।
बाबा रामदेव के शुरुआती प्रचार के समय बड़ा हो हल्ला मचा था , दवा की क्वालिटी पर अंगुली उठाई गई थी । जबकि की देश व विदेश के करीब २ करोड़ लोग दवा से लाभ उठा रहे है । रोग को जड़ से मिटाती है बस थोडा सा धैर्य रखना पड़ता है । जबकि अंग्रेजी दवा खाने के बाद साइड एफ्फेक्ट की वजह से नई बीमारी जन्म लेती हैं ।
एक मरीज जो की मेरे सामने है उनको १-१/२ साल पहले स्किन कैंसर हो गया था , जो की जांच के बाद अचानक बढकर दो गुना हो गया । जिसमे एक महीने की अंग्रेजी दवा की कीमत रूपये ३६००/- थी ,तीन महीने बाद अंग्रेजी दवा का बोझ न उठा पाने के कारण, बाबा के चिकिसालय से दवा ली जोकि रूपये २००० /- महीना होती है , ५०% इलाज में आराम मिला है।
क्या भारत की जनता ( ग्रामीण भी ) यदि लाभ ले सके तो इसमें ठगने व ढोंगी वाली बात कहाँ से आ गई । यदि दिग्विजय सिंह के बेवकूफी भरे अकारण बयान बाजी से या किसी कार्यवाही के कारण जिन serious मरीजो की दवा मिलने में कोई दिक्कत आती है यदि उसे हानि होती है, तो इसके जिम्मेदार दिगी व कांग्रेस होगी। ( अभी से कुछ दवाओं की कमी महसूस की जाने लगी है शायद जाच की वजह से या अव्यवस्था की वजा से ) , क्या जरा से राजनीतिक हित व पैसे की हवस इंसान को इतना गन्दा बना देती है । अपने देश में जयचंदों की कमी नहीं है ।
दिगी का चश्मा शायद पुराना हो गया है , नितीश कुमार व मोदी से चश्मा उधार लेले तब शायद भारत व भारत की भूखी व गरीब जनता दिखाई पड़ने लगे । गवार औरतों की तरह कुतिया-छिनारा की तरह तू तू मैं मैं बंद करे व जो हकीकत हो उसे बयान करे ।

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