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यह तो एक बानगी है , आश्चर्य होता है , सिरडी के साईं बाबा का जब देहावसान हुआ था तब उनकी थैली में शायद एक चवन्नी भी नहीं निकली होगी । जाहिर है यह पैसा बाबा जी की कमाई तो होगी नहीं यह पैसा, सोना, चांदी जनता के द्वारा दिया गया दान है। जिस पर बाबाजी सांप की तरह कुंडली मार कर बैठे थे । इससे तो यही प्रतीत होता है बाबा धन लोलुप थे , एक बाबा होकर धन की रखवाली करना कहाँ तक उचित है ।
क्या सरकार ने कभी इसकी छान बीन करने की कोशिश की , क्या बाबा ने कभी अपनी अकूत संपति के बारे में सरकार को व्योरा दिया , सरकार उनसे तो हिसाब मांगती है जिनका हिसाब खुली किताब की तरह है जो देश को प्राथमिकता देते हैं ।
२७ देशो में साईं बाबा के ट्रस्ट व् अस्पताल चलते हैं, देश के पैसे का विदेश में उपयोग किया जाता है जबकि अपने भारत में गरीबों के लिए सस्ती चिकित्सा सुविधा तक उपलब्ध नहीं है । हम तो कहेंगे देश के गरीबों व जनता को लूटने में राजनेताओं के बाद दूसरा नंबर बाबाओं ( छमा करना इसमें सभी सम्मिलित नहीं हैं) का है । अब इस पैसे का क्या होगा क्या कोई हल निकलेगा या यह किसी कोठरी में बंद हो जायेगा ।
साथियों सावधान रहना होगा सच पता चलने में भी अब पचास साल लगते हैं , हर चमकती चीज को सोना समझना भूल होगी ।
” यह तो सच है हर तस्वीर के पीछे अन्धकार होता है ”
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